हम सभी को अपने दोस्त बहुत प्यारे होते हैं और हम दोस्त के लिए किसी भी हद तक जाते हैं। कभी न कभी, किसी मित्र या परिवार के सदस्य ने आपको लोन के लिए गारंटर बनने के लिए कहा ही होगा और या फिर भविष्य शायद आपका कोई मित्र या रिश्तेदार इसके लिए कहे, तो क्या आपको उनकी बात माननी चाहिए? बहरहाल इस सवाल का जवाब आप इस लेख के अंत तक पहुंचते-पहुंचते खुद ही जान जाएंगे।
एक बड़े लोन आवेदन के समय अक्सर लोनकर्ता को वित्तीय संस्थान को एक गारंटर देना होता है। गारंटर वह व्यक्ति होता है जो यह गारंटी देता है कि यदि लोनकर्ता अपने लोन को चुकाने में चूक करता है तो वह लोनकर्ता का लोन चुकाएगा। गारंटर लोन में सह-हस्ताक्षरकर्ता के रूप में कार्य करता है। लोन गारंटर बनने से पूर्व हर किसी के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि लोन गारंटर से जुड़ी शर्ते क्या हैं।
इससे पहले कि हम एक गारंटर की जिम्मेदारियों को समझें, आइए उन स्थितियों पर एक नज़र डालें जिनमें वित्तीय संस्थान अपने उधारकर्ता के लिए गारंटर की तलाश करते हैं। बैंक आमतौर पर एक गारंटर तब मांगते हैं, जब वे कर्जदार की लोन चुकाने की क्षमता के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त नहीं होते हैं और यह इसलिए होता है जब उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर अपेक्षित सीमा से कम होता है। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जब उधारकर्ता द्वारा कुछ पात्रता मानदंड पूरे न किए गए हों। पिछले कुछ वर्षों में अस्थिर रोजगार, बार बार शहर बदलना, बहुत अधिक बकाया लोन आदि जैसे कारणों के चलते भी लोनदाताओं द्वारा गारंटर को प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि आपको किसी भी लोन के लिए गारंटर बनने से पहले लोन गारंटर बनने के नियम पता होने चाहिए।
यह भी पढ़ें: पर्सनल लोन योग्यता की जांच कैसे करें?
पर्सनल लोन के लिए गारंटी देने से पहले, गारंटरों को इसके वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रभावों को समझना चाहिए। एक गारंटर की देनदारी काफी हद तक मूल लोनकर्ता के समान ही होती है। यदि लोनकर्ता किसी कारणवश लोन का भुगतान करने से चूकता है, तो वित्तीय संस्थान के पास गारंटर से बकाया धन एकत्र करने का कानूनी हक होता है। गारंटर होने से संस्थानों को सुरक्षा मिल जाती है।
चूक के मामले में, यदि लोनकर्ता पर्सनल लोन का भुगतान करने में असमर्थ है, तो अदालत गारंटर को लोन चुकाने के लिए बाध्य कर सकती है। गारंटर की मासिक आय और अन्य संपत्तियां भी लोन से जुड़ी हो सकती हैं। यही मुख्य कारण है कि वित्तीय संस्थानों के पास विशिष्ट दिशानिर्देश हैं कि कैसे गारंटर की वित्तीय स्थिति मूल लोनकर्ता से बेहतर होनी चाहिए। यदि गारंटर जिम्मेदारी लेने में विफल रहता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ नतीजों का भी सामना करना पड़ सकता है।
यदि कोई लोनकर्ता कर्ज चुकाने में चूक करता है, तो संस्थान पहले लोनकर्ता के पास बकाया वसूलने के लिए पहुंचता है। यदि संस्थान ऐसा करने में असमर्थ है, तो वह बकाया राशि के निपटान के लिए गारंटर से संपर्क करेगा। यदि आप, एक गारंटर के रूप में, बकाया राशि का भुगतान नहीं करते हैं, तो संस्थान को धन की वसूली करने की स्थिति में आपकी संपत्ति की नीलामी करने का अधिकार है।
अगर आप लोन के गारंटर हैं, तो आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में यह चीज दिखेगी। अनियमित भुगतान और लोनकर्ता की ओर से लोन चुकौती में चूक करने से आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित होगा। गारंटर बनने से पहले, आप अपने क्रेडिट स्कोर की जांच कर सकते हैं। अगर यह पहले से ही कम है, तो आपको लोन गारंटर बनकर खुद को और अधिक जोखिम में नहीं डालना चाहिए।
यह भी पढ़ें: जानिए, लोन को समय पर या उससे पहले चुकाने के फायदे
कॉन्ट्रैक्ट एक्ट ने गारंटी के संबंध में एक गारंटर के अधिकारों और देनदारियों को बहुत अच्छी तरह से निर्दिष्ट किया है। यहां समझने वाली मुख्य बात यह है कि गारंटी का कॉन्ट्रैक्ट मुख्य देनदार के चूक के मामले में लेनदार की स्थिति की रक्षा करता है। कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के अनुसार, गारंटर को प्रस्थापन का अधिकार प्राप्त है, जिसमें गारंटर को मूल देनदार से क्षतिपूर्ति का दावा करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।
एक गारंटर बनना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए जल्दबाजी में गारंटर बनने का फैसला कभी ना ले। जब तक कि बात परिवार की ना हो। उस स्थिति में भी लोन पुर्नभुगतान और लोन सेटलमेंट इत्यादि चीजों पर अच्छे से विचार विमर्श करने के बाद फैसला करें।
यदि आप पहले से ही किसी मित्र के लिए गारंटर बने हुए है और इस लेख को पढ़ने के बाद आप उसकी चुकौती क्षमता को लेकर सोच में पढ़ गए हैं, तो आप अपने लोनकर्ता से संपर्क करके गांरटर की भूमिका से बाहर निकल सकते हैं। हालाँकि, संस्थान को आपका नाम को लोन से हटाने के लिए कोई रास्ता खोजना होगा। उम्मीद करते हैं आपको अपने सवाल का जवाब मिल गया होगा कि क्या आपको लोन गारंटर बनना चाहिए या नही।